साहब हो गये फ़ुर्र..
हाँ, इन्वेस्टमेंट प्लान में थे।।
अगर आपमें लीडरशिप ना हो तो कोई इन्वेस्टमेंट प्लान कर लो।।
ना कोई मोटिवेशन ना कोई एजुकेशन।।
नसीब अच्छा हुआ तो कमा लोगे... फिर हो जाना फ़ुर्र किसी दूसरे इन्वेस्टमेंट प्लान में।।
काश कि ये भाईसाहब उत्पाद आधारित कंपनी की विशेषता को समझ गये होते।।
100 प्रतिशत उत्पाद आधारित कंपनियों ने ही नेटवर्किंग के क्षेत्र को महानता दी है वरना स्कीम या इन्वेस्टमेंट प्लान तो पता नही कितने आये और गये।।
शातिर दिमाग किसी ना किसी रूप में इन्वेस्टमेंट प्लान लेकर आते हैं और फायदा उठाते हैं लोगों के लालच का।।
काश कि साहब ने समझ लिया होता कि एक बार इनके नाम के साथ अगर हज़ारों ग्राहक जुड़ गये होते और उनके बीच उत्पाद इस्तेमाल हो रहा होता तो यह नेटवर्क व्यापार इनकी जिंदगी को बेहद खुशहाल बना देता।।
उत्पाद लिया और दिया बात खत्म वरना इन्वेस्टमेंट प्लान में तो भारी भरकम जिम्मेदारी के बोझ तले घिर जाते हैं।।
अभी एक भाईसाहब मिले।। गलती से नेटवर्क व्यवसाय समझकर किसी इन्वेस्टमेंट प्लान में उलझ गये और खुद भी लगाया लाखो और करोड़ो लगवा दिया अपने कुछ भाई बंधुओ का।। ना कोई उत्पाद था और ना ही कोई एजुकेशन सिस्टम।। बस बताया जाता था कि उनका पैसा किसी प्रॉपर्टी में लगाया जा रहा है।। अब आया वो दिन और हो गये आका लोग फ़ुर्र।। अब भाई साहब के पीछे वो लोग पड़े जिन्होंने लगाया था पैसा उनके कहने पर। अब भाई साहब क्या करें सब कुछ बेच बाचकर लगे हैं उस पैसे को उतारने में जिसका उन्होंने इन्वेस्टमेंट कराया था।।
बहरहाल अब ठोकर खाकर समझ आ गयी है और 100 प्रतिशत उत्पाद आधारित कंपनी को जॉइन करके उत्पाद इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों की श्रृंखला को तैयार कर रहे हैं। फिलहाल खुश भी हैं क्योंकि एक अच्छा खासा ग्राहक नेटवर्क तैयार हो गया है।
भाईसाहब की तरह शुरुआती दौर में नही समझ पाते लोग इस बात को कि इन्वेस्टमेंट प्लान या उत्पाद आधारित नेटवर्क व्यापार में क्या अंतर है।।
उत्पाद है तो हजारों रु0 का टर्नओवर खुद भी दे सकते हैं या लाखों करोड़ों का टर्नओवर टीम की मदद से दे सकते हैं।
दुनिया की कोई भी कंपनी हो उसके उत्पादों का मार्केट रातों रात तैयार नही होता बल्कि समय लगता है। अब समय कितना लगेगा ये कंपनी की रणनीति और उसमें काम शुरू करने वाले डिस्ट्रीब्यूटर या कहें तो नेटवर्क किंग के ऊपर निर्भर करता है।।
अगर किसी भी कंपनी को चुन लिया है तो 5 साल टिक भी जाना।। इससे पहले छोड़ दिया तो आप भी उनमे शामिल होंगे जिन्हें हमेशा अपने लिये निर्णयों पर संदेह होता है और इसी भ्रम में साल में कई कंपनियां बदल लेते हैं।
कंपनियां बदल सकते हो।। कंपनियों की तो भरमार है। अमेरिकन, मलेशियन, जर्मन , जापान या अपनी भारतीय चाहें तो रोज एक जॉइन कर लो।। लेकिन समझदारी इस बात में है कि आप कंपनी को नही बल्कि उस इंसान की सोच के साथ खड़े हो जाना जो एकदम कंपनी के पीछे खड़ा है। क्योंकि उसी की सोच पर आपको आगे बढ़ना है।।
आज किसी का कद छोटा है तो धीरे धीरे अपनी काबिलियत से बहुत बड़ा हो जायेगा और अगर कोई बहुत बड़ा है लेकिन उसकी रणनीति या सोच कमजोर है तो कद छोटा हो जाने में समय नही लगता।।
फिर भी हर फैसला आपके हाथ में क्योंकि जीवन आपका।
हमेशा मुस्कुराइये क्योंकि मुस्कुराना व्यापार का पहला गुण है... वरना भुननाएँ हुये लोगों की भी भला क्या कमी है इस दुनिया में।।
🙏